इस बार को गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर होगी। प्रतिवर्ष दीपावली के अगले दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पावन पर्व मनाया जाता है और इस हिसाब से आज यानी 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होनी चाहिए थी क्योंकि 24 अक्टूबर को दीपावली थी। किन्तु इस बार ऐसा नहीं है, क्योंकि 25 अक्टूबर की शाम आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। इन दो पर्वों के बीच सूर्य ग्रहण और बुध, गुरु, शुक्र, शनि का अपनी-अपनी राशि में होना, ऐसा योग पिछले 1300 सालों में नहीं बना है। ये ग्रहण भारत के अधिकतर हिस्सों में दिखेगा। इस कारण इसका सूतक रहेगा जिसके कारण सभी धार्मिक मान्यताओं का पालन किया जाएगा। दिवाली की रात पूजन के बाद लक्ष्मी जी की चौकी सूतक लगने से पहले हटा लें या 25 को ग्रहण खत्म होने के बाद हटाएं। गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 तरह के पकवानों का श्रीकृष्ण को भोग लगाना शुभ माना जाता है। इन पकवानों को 'अन्नकूट' कहते हैं। मान्यता यह है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। श्रीकृष्ण ने इन्द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत मनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त-
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:29 AM से 08:43 AM
अवधि - 02 घंटे 14 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 25, 2022 को 04:18 पी एम
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 26, 2022 को 02:42 पी एम
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