Wednesday, April 6, 2022

बीजेपी मना रही है आज अपना 42वां स्थापना दिवस

    BJP यानि कि  भारतीय जनता पार्टी आज अपना 42वां स्‍थापना दिवस मना रही है।आज से 42 साल पहले  6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ था, भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की देख रेख में बीजेपी का निर्माण हुआ। वाजपेयी और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्‍ण आडवाणी ने मिलकर पार्टी को 1984 में दो सीट से 1998 में 182 सीटों तक ला खड़ा किया था।उसके बाद श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में 2014 में बीजेपी ने 282 सीटें जीतीं तो 2019 में उसकी सीटों का आंकड़ा 300 के पार चला गया।बीजेपी के पहले अध्‍यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी थे। एक वक्‍त बीजेपी गांधी के आदर्शों पर चलने की बात करते हुए राजनीति करती थी। 1984 के लोकसभा चुनाव में केवल दो सीटें जीतने के बाद, पार्टी हिंदुत्‍व की तरफ आकर्षित हुई। राम जन्‍मभूमि को एजेंडा बनाकर वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी ने बीजेपी को मुख्‍यधारा की राजनीति में ला दिया।


    1989 में बीजेपी ने 85 लोकसभा सीटें जीतीं, फिर 1991 में 120 सीटों पर कब्‍जा जमा लिया। वाजपेयी के नेतृत्‍व में बीजेपी ने देश को पहली स्‍थायी गठबंधन की सरकार दी। 2004 में बीजेपी के चुनाव हारने के बाद पार्टी में अगले दौर के नेताओं की खोज शुरू हो गई। लालकृष्ण आडवाणी के अनुसार, 'दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में 5-6 अप्रैल, 1980 के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में 3, 500 से अधिक प्रतिनिधि एकत्र हुए और 6 अप्रैल को एक नए राजनीतिक दल दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन की घोषणा की गई। अटल बिहारी वाजपेयी को इसका पहला अध्यक्ष चुना गया। मुझे सिकंदर बख्त और सूरजभान के साथ महासचिव की जिम्मेदारी दी गई। यह कयास लगाए जाने लगे कि क्या नई पार्टी जनसंघ को पुनरुज्जीवित करेगी? अटल जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में स्पष्ट रूप से इस कयास को नकार दिया। उन्होंने कहा, नहीं हम वापस नहीं जाएंगे।'

    आडवाणी ने अपनी आत्‍मकथा 'मेरा देश, मेरा जीवन' (प्रभात प्रकाशन) में बीजेपी के अस्तित्‍व में आने पर एक पूरा चैप्‍टर लिखा है।अपनी किताब में आडवाणी लिखते हैं, "एक विषय जिसने पूरे राजनीतिक जीवन में मुझे चकित किया है, वह है भारतीय मतदाता चुनावों में अपनी पसंद का निर्धारण कैसे करते हैं ? कई बार उनके रुझान का अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर नहीं। भारतीय मतदाताओं के विशाल विविधता के चलते सामान्यत: चुनाव के परिणामों का पूर्वानुमान लगाना असंभव होता है। हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि मतदाताओं का सामूहिक व्यवहार किसी एक भावना संचालित होता दिखता है और इससे उनकी पसंद का अनुमान लगाया जा सकता है। औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त न करने के बावजूद एक अनुभवी राजनीतिक कार्यकर्ता अक्सर यह भविष्यवाणी कर सकता है कि चुनावी हवा किस ओर बह रही है।"पूर्व डेप्‍युटी पीएम ने अपनी आत्‍मकक्षा में आगे लिखा है, "जनता पार्टी की भारी पराजय ने मुझे मतदाताओं के व्यवहार के एक अन्य पहलू के बारे में भी परिचित करवाया। जब मतदाता एक पथभ्रष्ट राजनीतिक दल को सबक सिखाना चाहते हैं तो अक्सर उस दल के विरुद्ध आक्रोश के कारण। 1980 में हमने यह भी सीखा कि गहरा भोहभंग भी हमें उस पार्टी को सजा देने के लिए उकसा सकता है, जो सकी आशाओं पर खरा नहीं उतरती।

    आडवाणी उन परिस्थितियों के बारे में बताते हैं जिनसे बीजेपी का जन्‍म हुआ। वे लिखते हैं, "जनता पार्टी के भीतर संघ विरोधी अभियान ने 1980 के लोकसभा चुनावों में कार्यकर्ताओं के उत्साह को ठंडा कर दिया था। इससे स्पष्ट रूप से कांग्रेस को लाभ हुआ और चुनावों में इसने जनता पार्टी के प्रदर्शन को गिराने का प्रयास किया। 4 अप्रैल को जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक अहम बैठक नई दिल्ली में निश्चित की गई, जिसमें दोहरी सदस्यता के बारे में आखिरी फैसला लिया जाना था। मोरारजी देसाई और कुछ अन्य सदस्यों ने हमें पारस्परिक समझौते की स्वीकार्यता के आधार पर जनता पार्टी में बनाए रखने का अंतिम प्रयास किया। परंतु भविष्य लिखा जा चुका था। जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने समझौते फॉर्मूले को 14 की तुलना में 17 वोटों से अस्वीकार कर दिया और प्रस्ताव पारित किया गया कि पूर्व जनसंघ के सदस्यों को निष्काषित कर दिया जाए।" बीजेपी मूल रूप से दक्षिणपंथी है। अयोध्‍या में राम मंदिर और जम्‍मू कश्‍मीर के विशेष दर्ज को खत्‍म करने का वादा पार्टी पूरा कर चुकी है। राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर, नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे मुद्दों पर काम जारी है। इसके अलावा यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात भी बीजेपी करती आई है। पार्टी का मुखपत्र 'कमल संदेश' है जो एक पाक्षिक पत्रिका है। हिंदू राष्ट्रवाद को लेकर आगे बढ़ने वाली बीजेपी का चुनाव चिन्‍ह 'कमल' है।

2009 के लोकसभा चुनाव में भी जब बीजेपी वापसी नहीं कर सकी तो तब गुजरात के मुख्‍यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को जिम्‍मा सौंपा गया। 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने मोदी के चेहरे को आगे कर लड़ा।उन चुनावों में बीजेपी ने तबतक का सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन किया और पहली बार अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में आ गई। पार्टी को 282 सीटें हासिल हुई थीं। अगले लोकसभा चुनावों ने बीजेपी की टैली को और मजबूत होते हुए ही देखा। 2019 में बीजेपी ने 303 सीटें जीतीं और मोदी फिर प्रधानमंत्री बने।अमित शाह जब भाजपा अध्‍यक्ष थे तो उन्‍होंने बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए अभियान शुरू किया। आज वह 18 करोड़ सदस्‍य होने का दावा करती है।


 



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